बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

आदिवासी अधिकारियों ने भी रमन के खिलाफ मोर्चा खोला

आदिवासी अधिकारियों ने भी रमन के खिलाफ मोर्चा खोला
आयोग से शिकायत, पदोन्नति से वंचित
 आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को लेकर भले ही भाजपा के आदिवासी नेताओं की मुहिम फेल हो गई हो लेकिन अब आदिवासी अफसरों ने अपनी उपेक्षा का आरोप लगाकर सरकार के लिए नई मुसिबत खड़ी कर दी है। करीब आधा दर्जन आदिवासी अधिकारियों ने पदोन्नति में भेदभाव का आरोप लगाया है और इनमें से कुछ ने आयोग में शिकायत तक कर दी है।
भाजपा में आदिवासियों की उपेक्षा को लेकर आदिवासी नेता पहले ही नाराज हैं। नंदकुमार साय, ननकीराम कंवर से लेकर रामविचार नेताम ने समय-समय पर सरकार के खिलाफ खड़ा होने की कोशिश की है यहां तक कि आरक्षण कम किए जाने को लेकर भी आदिवासी नेता नाराज हैं। ऐसे में आदिवासी होने की वजह से पदोन्नति नहीं देने का आरोप डॉ. रमन सिंह को भारी पड़ सकता है और इस मामले में यदि कांग्रेस खड़ी हुई तो मामला तूल पकड़ सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अपनी उपेक्षा को लेकर डॉ. राजमणि, डॉ. आर.आर. मंडावी और डॉ. आर.एन. नेताम ने आयोग से शिकायत की है कि आदिवासी होने के कारण उन्हें पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है। आयोग में की गई शिकायत काफी गंभीर है और इसका परीक्षण चल रहा है। डॉ. राजमणि रायपुर में पदस्थ हैं वहीं डॉ. आर.आर. मंडावी कांकेर में हैं।
सूत्रों ने बताया कि तीन-तीन अधिकारियों के द्वारा आयोग से की गई शिकायत पर फिलहाल सरकार में बेचैनी है और वह यह जानने में लगी है कि कहीं इसके पीछे राजनीति तो नहीं है। बहरहाल आदिवासी अधिकारियों के इस नए आरोप से एक तरफ जहां सरकार बेचैन है वहीं कांग्रेस के इसे मुद्दा बनाने से नई मुसिबत का अंदेशा भी है।

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