एक शिक्षक गिरफ्तार, दो फरार
डाल्फिन इंटरनेशनल स्कूल भाटापारा के तीन शिक्षकों द्वारा एक नाबालिग छात्र से अप्राकृतिक कृत्य करने का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। इस मामले में एक शिक्षक आशीष प्रधान गिरफ्तार कर लिए गए हैं। जबकि दो शिक्षक फरार बताए जा रहे हैं। इस मामले का दुर्भाग्यजनक पहलू यह है कि पूरे मामले को दबाने की कोशिश मंत्री स्तर पर की गई जबकि स्कूल संचालक एक अखबार मालिक होने की वजह से भी मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है और फरार शिक्षकों को बचाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि डाल्फिन इंटरनेशनल स्कूल द्वारा छत्तीसगढ़ के विभिन्न कस्बों व शहरों में स्कूल संचालित किया जा रहा है और 50 हजार दो 12वीं तक पढ़ों स्कीम भी चला रहा है। यही नहीं अधिकांश जगहों पर दूसरे शहर के लोगों की नियुक्ति की गई है। भाटापारा में संचालित डाल्फिन स्कूल में भी इसी तरह से दूसरे शहर के ही शिक्षकों की भर्ती की गई है जिन्हें सिर्फ पैसों से मतलब है। बताया जाता है कि भाटापारा में जिस बच्चे के साथ दूराचार किया गया वह प्रतिष्ठित परिवार का है इसलिए तत्काल एक शिक्षक आशीष प्रधान की धारा 37, 511 व 292 के तहत गिरफ्तार किया गया। जबकि दबाव में सहयोगी दो शिक्षकों को फरार होने का मौका दिया गया।
सूत्रों की माने तो शर्म की वजह से कुछ बच्चे सामने नहीं आ रहे हैं। बताया जाता है कि घर में समझा देने के नाम पर शिक्षकों द्वारा बच्चों को बुलाकर यह कृत्य किया गया और बच्चे ने जैसे ही इसकी जानकारी अपने परिजनों को दी तो वे सीधे पुलिस के पास जा पहुंचे और आनन-फानन में पुलिस को दबाव में कार्रवाई करनी पड़ी।
इधर इस मामले को लेकर भाटापारा में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। सूत्रों के मुताबिक भाटापारा के लोगों ने बताया कि शिक्षकों से लेकर पूरा स्टाफ बाहरी है और अधिकांश कर्मचारी किराये का मकान लेकर अकेले रहते हैं। दरअसल घटना की प्रमुख वजह भी यही मानी जा रही है कि बाहरी शिक्षकों की वजह से ही इस तरह की घटनाएं हो रही है। दूसरी तरफ इस मामले में फरार शिक्षकों का बचाने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इन दोनों शिक्षकों को छुट्टी पर जाना बताया जा रहा है। इधर हमारे पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस मामले को गुपचुप तरीके से निपटाने एक मंत्री द्वारा थानेदार को फोन भी किया गया जबकि ऐसे घिनौने कृत्य पर डाल्फिन स्कूल के संचालक की भूमिका को भी शर्मनाक बताया जा रहा है। इधर डाल्फिन स्कूल के संचालक राजेश शर्मा से संपर्क की कोशिश की गई लेकिन वे उपलब्ध नहीं थे जबकि भाटापारा स्कूल के प्रचार्य की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
बुधवार, 13 अक्तूबर 2010
शनिवार, 9 अक्तूबर 2010
अधूरा निर्माण शीघ्र पूरा करें : वर्मा
रायपुर। नगर पालिका बीरगांव के पूर्व सदस्य संतोष वर्मा ने कहा कि वार्ड नम्बर 8 में बहुत सारे अधूरे कार्यों को शीघ्र पूरा करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि विकास तो हुए हैं लेकिन अधूरे निर्माण कार्य से परेशानी हो रही है। उन्हाेंने कहा कि प्राथमिक शाला में भवन निर्माण अधूरा है, छत ढलाई नहीं हुआ है, बिल पास हो गया है। गोड़ समाज का कालम अधूरा है। अतिरिक्त कमरा संतोष नगर में। बजरंग नगर में छत ढलाई अधूरा है। मूलभूति सुविधा हैण्डपंप चरमरा गई। 15 दिन खराब है। 2 महीने से प्रशासक बैठाया गया है फिर भी कोई काम नहीं हो रहा है।
जनसंख्या के आधार पर वार्डों का विभाजन हो : राव
नगर पालिका बीरगांव के पूर्व उपाध्यक्ष पीएस राव ने भाजपा सरकार को बीरगांव के विकास के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि भविष्य में वार्डों का विभाजन जनसंख्या के आधार पर होने से पार्षदों को दिक्कत नहीं होगी।
उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि नगर पालिक बीरगांव नया पालिका बने एक कार्यकाल पूरा हुआ जिसमें 30 वार्डों में विभाजन हुआ था बीरगांव क्षेत्र में बहुतायत जनसंख्या मतदान करने से वंचित हो गये थे छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। हमारी भाजपा की सरकार गरीबों एवं जनता के हित में कार्य करती है। बीरगांव में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नगरीय प्रशासन मंत्री जी से पहल किया और वंचित जनता को नगर पालिका में शामिल करने का निवेदन किया। और नगर पालिका जैसे मजदूर नगर, बजरंग नगर और बंजारी नगर शामिल किया गया। शामिल होने के बाद परिसीमन का कार्य किया गया। जो 35 वार्डों में विभाजन हुआ। भाजपा पार्टी के कार्यकर्ता खुश है। लेकिन जनसंख्या के आधार पर वार्डों का विभाजन में भारी उलट फेर है। जैसे एक वार्ड में जनसंख्या 800 सौ है दूसरे वार्डों में 4000 हजार जनसंख्या है। जिसमें वार्ड पार्षदों कि चुनाव में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आगे भविष्य में भी विकास को लेकर विकास कि राशि को लेकर काफी पेरशानियों का सामना करना पड़ेगा। हमारी मांग है कि जनता की जनसंख्या के आधार पर वार्डों का विभाजन करना उचित होगा।
उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि नगर पालिक बीरगांव नया पालिका बने एक कार्यकाल पूरा हुआ जिसमें 30 वार्डों में विभाजन हुआ था बीरगांव क्षेत्र में बहुतायत जनसंख्या मतदान करने से वंचित हो गये थे छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। हमारी भाजपा की सरकार गरीबों एवं जनता के हित में कार्य करती है। बीरगांव में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नगरीय प्रशासन मंत्री जी से पहल किया और वंचित जनता को नगर पालिका में शामिल करने का निवेदन किया। और नगर पालिका जैसे मजदूर नगर, बजरंग नगर और बंजारी नगर शामिल किया गया। शामिल होने के बाद परिसीमन का कार्य किया गया। जो 35 वार्डों में विभाजन हुआ। भाजपा पार्टी के कार्यकर्ता खुश है। लेकिन जनसंख्या के आधार पर वार्डों का विभाजन में भारी उलट फेर है। जैसे एक वार्ड में जनसंख्या 800 सौ है दूसरे वार्डों में 4000 हजार जनसंख्या है। जिसमें वार्ड पार्षदों कि चुनाव में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आगे भविष्य में भी विकास को लेकर विकास कि राशि को लेकर काफी पेरशानियों का सामना करना पड़ेगा। हमारी मांग है कि जनता की जनसंख्या के आधार पर वार्डों का विभाजन करना उचित होगा।
बुधवार, 6 अक्तूबर 2010
आदिवासी अधिकारियों ने भी रमन के खिलाफ मोर्चा खोला
आदिवासी अधिकारियों ने भी रमन के खिलाफ मोर्चा खोला
आयोग से शिकायत, पदोन्नति से वंचित
आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को लेकर भले ही भाजपा के आदिवासी नेताओं की मुहिम फेल हो गई हो लेकिन अब आदिवासी अफसरों ने अपनी उपेक्षा का आरोप लगाकर सरकार के लिए नई मुसिबत खड़ी कर दी है। करीब आधा दर्जन आदिवासी अधिकारियों ने पदोन्नति में भेदभाव का आरोप लगाया है और इनमें से कुछ ने आयोग में शिकायत तक कर दी है।
भाजपा में आदिवासियों की उपेक्षा को लेकर आदिवासी नेता पहले ही नाराज हैं। नंदकुमार साय, ननकीराम कंवर से लेकर रामविचार नेताम ने समय-समय पर सरकार के खिलाफ खड़ा होने की कोशिश की है यहां तक कि आरक्षण कम किए जाने को लेकर भी आदिवासी नेता नाराज हैं। ऐसे में आदिवासी होने की वजह से पदोन्नति नहीं देने का आरोप डॉ. रमन सिंह को भारी पड़ सकता है और इस मामले में यदि कांग्रेस खड़ी हुई तो मामला तूल पकड़ सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अपनी उपेक्षा को लेकर डॉ. राजमणि, डॉ. आर.आर. मंडावी और डॉ. आर.एन. नेताम ने आयोग से शिकायत की है कि आदिवासी होने के कारण उन्हें पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है। आयोग में की गई शिकायत काफी गंभीर है और इसका परीक्षण चल रहा है। डॉ. राजमणि रायपुर में पदस्थ हैं वहीं डॉ. आर.आर. मंडावी कांकेर में हैं।
सूत्रों ने बताया कि तीन-तीन अधिकारियों के द्वारा आयोग से की गई शिकायत पर फिलहाल सरकार में बेचैनी है और वह यह जानने में लगी है कि कहीं इसके पीछे राजनीति तो नहीं है। बहरहाल आदिवासी अधिकारियों के इस नए आरोप से एक तरफ जहां सरकार बेचैन है वहीं कांग्रेस के इसे मुद्दा बनाने से नई मुसिबत का अंदेशा भी है।
आयोग से शिकायत, पदोन्नति से वंचित
आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को लेकर भले ही भाजपा के आदिवासी नेताओं की मुहिम फेल हो गई हो लेकिन अब आदिवासी अफसरों ने अपनी उपेक्षा का आरोप लगाकर सरकार के लिए नई मुसिबत खड़ी कर दी है। करीब आधा दर्जन आदिवासी अधिकारियों ने पदोन्नति में भेदभाव का आरोप लगाया है और इनमें से कुछ ने आयोग में शिकायत तक कर दी है।
भाजपा में आदिवासियों की उपेक्षा को लेकर आदिवासी नेता पहले ही नाराज हैं। नंदकुमार साय, ननकीराम कंवर से लेकर रामविचार नेताम ने समय-समय पर सरकार के खिलाफ खड़ा होने की कोशिश की है यहां तक कि आरक्षण कम किए जाने को लेकर भी आदिवासी नेता नाराज हैं। ऐसे में आदिवासी होने की वजह से पदोन्नति नहीं देने का आरोप डॉ. रमन सिंह को भारी पड़ सकता है और इस मामले में यदि कांग्रेस खड़ी हुई तो मामला तूल पकड़ सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अपनी उपेक्षा को लेकर डॉ. राजमणि, डॉ. आर.आर. मंडावी और डॉ. आर.एन. नेताम ने आयोग से शिकायत की है कि आदिवासी होने के कारण उन्हें पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है। आयोग में की गई शिकायत काफी गंभीर है और इसका परीक्षण चल रहा है। डॉ. राजमणि रायपुर में पदस्थ हैं वहीं डॉ. आर.आर. मंडावी कांकेर में हैं।
सूत्रों ने बताया कि तीन-तीन अधिकारियों के द्वारा आयोग से की गई शिकायत पर फिलहाल सरकार में बेचैनी है और वह यह जानने में लगी है कि कहीं इसके पीछे राजनीति तो नहीं है। बहरहाल आदिवासी अधिकारियों के इस नए आरोप से एक तरफ जहां सरकार बेचैन है वहीं कांग्रेस के इसे मुद्दा बनाने से नई मुसिबत का अंदेशा भी है।
गुण्डरदेही पंचायत की मांग
गुण्डरदेही। गुण्डरदेही पंचायत के सरपंच कृषलाल साहू ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा कि यहां समस्याएं तो है उसे दूर करने का प्रयास भी किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि पंचायत में नल जल योजना लागू किया जाए साथ ही हाईस्कूल भवन निर्माण का स्कूल संचालित किया जाना चाहिए। वार्डों की गलियों में कांक्रीटीकरण, स्कूलों में आहाता निर्माण व आंगनबाड़ी भवन निर्माण की गई है।
कोसमखुटा में समस्याओं का अंबार
फिंगेश्वर। ग्राम पंचायत कोसमखुटा जनपद पंचायत फिंगेश्वर की जनसंख्या 2000 है। ग्राम पंचायत में पेयजल एवं निस्तारी पानी की समस्या है। पेयजल की समस्या के समाधान के लिए नल जल योजना की मांग की गई है। इस समस्या को ग्राम सुराज अभियान में भी दिया गया है। सिंचाई की समस्या का हल अभी तक नहीं हो पाया है इसके लिए जीवतरा ड्रायवर्सन से पानी की सप्लाई के लिए नहर नाली का मरम्मत की आवश्यकता है ताकि सिंचाई की समस्या का हल हो सके। ग्राम में कीचड़ बहुत होता है बरसात में इसके लिए गली कांक्रीटीकरण की आवश्यकता है स्कूलों में बाउंड्रीवाल की आवश्यकता है। सामुदायिक भवन, रंगमंच की आवश्यकता है। ग्राम पंचायत कोसमखुंटा जिला रायपुर (छ.ग.) का सीमा पंचायत है इसलिए समस्या का अंबार है। यह जानकारी उपसरपंच जाकिर खान ने दी।
सोमवार, 4 अक्तूबर 2010
दिशा कॉलेज को बचाने का मतलब...
बच्चों से भरी बस पलटी, कई बस कंडम
पिछले दिनों जेल रोड में दिशा कॉलेज की बस पलट गई। हालांकि इस घटना से सवार छात्रों को यादा चोटें नहीं आई लेकिन प्रशासन ने इस मामले के रफा-दफा में जिस तरह की तेजी दिखाई है वह कई संदेहों को जन्म देता है।
घटना की वजह बस का पट्टा टूट जाना है। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की बजाय बस चालक के खिलाफ ही मामूली धारा लगा दी गई। वास्तव में इस मामले में बस चालक से यादा दोषी कॉलेज प्रबंधक है क्योंकि बस पलटने की वजह बस का कंडम होना है। हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक दिशा कॉलेज की कई बसें बेहद पुरानी है और रंग रोगन कर इसे चलाया जा रहा है। लगता है प्रशासन को किसी बड़ी घटना का इंतजार है।
पिछले दिनों जेल रोड में दिशा कॉलेज की बस पलट गई। हालांकि इस घटना से सवार छात्रों को यादा चोटें नहीं आई लेकिन प्रशासन ने इस मामले के रफा-दफा में जिस तरह की तेजी दिखाई है वह कई संदेहों को जन्म देता है।
घटना की वजह बस का पट्टा टूट जाना है। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की बजाय बस चालक के खिलाफ ही मामूली धारा लगा दी गई। वास्तव में इस मामले में बस चालक से यादा दोषी कॉलेज प्रबंधक है क्योंकि बस पलटने की वजह बस का कंडम होना है। हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक दिशा कॉलेज की कई बसें बेहद पुरानी है और रंग रोगन कर इसे चलाया जा रहा है। लगता है प्रशासन को किसी बड़ी घटना का इंतजार है।
पानी और धरती बचाने वाले अब कहां हैं...
आमापारा बाजार के पीछे का तालाब पाटा जा रहा
आर्ट ऑफ लिविंग हो या राजधानी में जल जमीन बचाने में लगी संस्था हो किसी की नजर अभी तक आमापारा बाजार के पीछे सरकारी स्तर पर पाटे जाने वाले तालाब की ओर नहीं है। आसपास के लोग दबी जुबान पर इसका विरोध जरूर कर रहे हैं लेकिन नेतृत्व का अभाव इसे आंदोलन का शक्ल नहीं दे पा रहा है। ऐसे में रजबंधा तालाब या लेडी तालाब की तरह यह कारी तालाब भी सरकार बलि चढ़ जाए तो आश्चर्य नहीं है।
एक तरफ पूरी दुनिया में जल, जमीन और जंगल बचाने का अभियान चल रहा है। छत्तीसगढ क़े मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तक अपने को इस अभियान का हिस्सा मानते हैं लेकिन दूसरी तरफ इसी सरकार के अधिकारी कुछ भू-माफियाओं के ईशारे पर कारी तालाब को पाटा जा रहा है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि पर्यावरण की चिंता में दुबले हो रहे लोगों का ध्यान अभी तक इस तरफ नहीं गया है और भू-माफिया अपना खेल खुले आम खेल रहा है।
आमापारा क्षेत्र में वैसे तो लाईन से पांच तालाब है और इन तालाबों से लगी बेशकीमती जमीनें पहले ही अवैध कब्जे का शिकार है। हांडी तालाब से लेकर करबला तक तालाबों पर निगाह रखने वालों ने अवैध कब्जों के लिए गरीबों का सहारा लिया और फिर खुद ही बिल्डिंग खड़ी कर बेच दी। आमापारा का ऐतिहासिक महत्व है। मंदिरों के अलावा सब्जी बाजार में रोज हजारों लोग आते हैं ऐसे में तालाब को सुन्दर बनाकर अन्य बगीचों में भीड़ कम की जा सकती है। इस मामले में पर्यावरण प्रेमी कब ध्यान देंगे यह देखा है।
आर्ट ऑफ लिविंग हो या राजधानी में जल जमीन बचाने में लगी संस्था हो किसी की नजर अभी तक आमापारा बाजार के पीछे सरकारी स्तर पर पाटे जाने वाले तालाब की ओर नहीं है। आसपास के लोग दबी जुबान पर इसका विरोध जरूर कर रहे हैं लेकिन नेतृत्व का अभाव इसे आंदोलन का शक्ल नहीं दे पा रहा है। ऐसे में रजबंधा तालाब या लेडी तालाब की तरह यह कारी तालाब भी सरकार बलि चढ़ जाए तो आश्चर्य नहीं है।
एक तरफ पूरी दुनिया में जल, जमीन और जंगल बचाने का अभियान चल रहा है। छत्तीसगढ क़े मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तक अपने को इस अभियान का हिस्सा मानते हैं लेकिन दूसरी तरफ इसी सरकार के अधिकारी कुछ भू-माफियाओं के ईशारे पर कारी तालाब को पाटा जा रहा है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि पर्यावरण की चिंता में दुबले हो रहे लोगों का ध्यान अभी तक इस तरफ नहीं गया है और भू-माफिया अपना खेल खुले आम खेल रहा है।
आमापारा क्षेत्र में वैसे तो लाईन से पांच तालाब है और इन तालाबों से लगी बेशकीमती जमीनें पहले ही अवैध कब्जे का शिकार है। हांडी तालाब से लेकर करबला तक तालाबों पर निगाह रखने वालों ने अवैध कब्जों के लिए गरीबों का सहारा लिया और फिर खुद ही बिल्डिंग खड़ी कर बेच दी। आमापारा का ऐतिहासिक महत्व है। मंदिरों के अलावा सब्जी बाजार में रोज हजारों लोग आते हैं ऐसे में तालाब को सुन्दर बनाकर अन्य बगीचों में भीड़ कम की जा सकती है। इस मामले में पर्यावरण प्रेमी कब ध्यान देंगे यह देखा है।
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